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संघर्ष ही तो नींव है - रणवीर सिंह(Ranveer Singh)

 

रणवीर सिंह

मैंने अनगिनत इनकार सुने, अपमान सहा। लेकिन खुद पर भरोसा करता रहा - रणवीर सिंह

मैं आज जहां हूं, उस मुकाम के बारे में सोचा नहीं था। भारत में फिल्मों को लगभग पूजा जाता है। हर भारतीय नौजवान को भारत में ‘हीरो’ बनना है। मेरे जैसे इंसान- जो आउटसाइडर हैं- के लिए फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री लेना लगभग असंभव था। यहां आप तभी हीरो हो सकते हैं, जब परिवार से कोई फिल्मों में हो।

15 साल की उम्र में मैंने अपने इस सपने को ताक पर रख दिया था। कॉपीराइटर बनने की कोशिश शुरू कर दी थी। एडवरटाइजिंग पढ़ने के लिए अमेरिका गया। दूसरे साल बस यूं ही एक्टिंग कोर्स चुन लिया। पहले दिन इंस्ट्रक्टर ने मुझसे कहा- तुम कौन हो, कहां से हो... यह जानने में मेरी कोई रुचि नहीं, तुम खुद को स्टेज पर आकर जाहिर करो।

मैंने स्टेज पर एक मशहूर मोनोलॉग किया, जो हिंदी में था। पूरी क्लास में कोई हिंदी नहीं समझता था। लेकिन मैंने यह इतने पैशन के साथ निभाया कि सब लोग चौंक गए। मैंने खुद महसूस किया कि मैं परफॉर्म कर सकता हूं और देखने वालों को भावुक कर रिएक्शन देने पर मजबूर कर सकता हूं। मैंने खुद में तेजी महसूस की, जब वापस सीट पर बैठा तो सोचा आखिर अभी तक यह क्यों नहीं किया! मैंने पापा को कॉल किया कि मैं यह करना चाहता हूं। उन्होंने कहा पहले कोर्स पूरा करो, फिर ये करना।

मैंने कोर्स पूरा किया और वापस भारत आया। सोचा ऐसा काम करता हूं, जो फिल्म के सेट तक ले जाए, कम से कम फिल्मों के करीब तो रहूंगा। मैं सेट पर यह सोचकर गया कि मैं कैमरापर्सन या टेक्निशियन बनने की ओर आकर्षित हो सकता हूं। हम ऑडिटोरियम में शूट कर रहे थे। तभी मेरी नजर एक सुपरस्टार की तरफ पड़ी, कमाल का आकर्षण महसूस हुआ। कैसे वो आता है, बात करता है, सबको दीवाना बना देता है... मैंने तय किया मुझे यहीं पहुंचना है। थिएटर जॉइन किया, सारे काम किए- एक्टर की चाय लाने से लेकर कुर्सियां जमाने तक। मुझे यह सुनना होता था कि पास में शूटिंग चल रही है, मैं अपनी पूरी कोशिश वहां पहुंचने में लगा देता था। लोगों के फोन से फिल्म वालों के नंबर चुराता। दफ्तरों के चक्कर लगाता। अनगिनत इनकार मैंने सुने हैं, खूब बेइज्जती भी सही।

वो मुश्किल दौर था। मैं नहीं जानता था मुझे क्या चीज ताकत दे रही है। शायद खुद पर भरोसा था कि एक दिन कॉल आएगा और एेसा हुआ। वो एक ऑडिशन था, उन्हें नया चेहरा चाहिए था। ऑडिशन हुआ। यह वो ब्रेक था, जिसकी कल्पना मुश्किल थी। मुझे वो मिल गया था। मैं हांफ रहा था। चर्च गया, शुक्रिया कहा। फिल्म की। सुपरहिट हुई। शुक्रवार को रिलीज हुई, सोमवार तक मुझे दुनिया जानती थी। मुझे आज तक लगता है मैं एक सपना जी रहा हूं। यह तब होता है जब आप अपने पैशन के पीछे भागते हैं।

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