कहावत है कौन कहाँ धुंआ देखने जाए, अखबार पढ़ लेंगे कहां आग लगी थी ये वाक्य मैंने फेसबुक को स्क्रॉल करते हुआ पढ़ा तो सोचने पर मजबूर हो गया कितना सत्य है और हम कहाँ इनमे से अलग हैं सोच ही रहा था की दूर से मुझे धुंए की गंध आई- वो एक खबर थी जो मेरी पत्नी बेटी को न्यूज़ पेपर से पढ़कर सुना रही थीं। उस समाचार को सुनकर मुझे लगा कि आने वाले वक़्त में पैरेंट्स के जीवन में यह धुआं आग बनने वाली है! वो खबर अभी तो धुंए जैसी थी, लेकिन वह भविष्य में आग बनकर पैरेंटिंग की खुशियों को जला देने वाली थी। और इसके लिए जिम्मेदार है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस! खबर कुछ ऐसी थी- बेडरूम में सोने के लिए जाता बच्चा अपने वॉइस असिस्टेंट को कहता है- ‘एलेक्सा! मुझे नींद आ रही है। मुझे नानी से कहानियां सुनना हैं!’ और तुरंत एलेक्सा नानी की आवाज में सुरु हो जाता है!
अमेजन एक एलेक्सा फीचर पर काम कर रहा है, जो अपने वर्चुअल असिस्टेंट को आपके परिवार के सदस्यों की आवाज की नकल करने की सुविधा देगा, ताकि आप उनसे अपनी पसंदीदा कहानियां सुन सकें। याद रखें, इसमें कोई शक नहीं है कि आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के स्वर्णिम दौर में जी रहे हैं, जिसमें हमारे सपने और साइंस फिक्शन अब हकीकत बनते जा रहे हैं। लेकिन क्या किसी भी नए पैरेंट के लिए यह अच्छी बात होगी कि वे यह कहकर कि ‘आज दफ्तर में बहुत काम है’ अपने बच्चे को सुलाते समय उसे कोई कहानी सुनाने और दुलारने के खूबसूरत लम्हे को गंवा दें? जरा सोचें। इसमें शक नहीं कि एलेक्सा सुविधाजनक है। कम से कम बच्चे को अच्छी कहानी तो सुनने को मिलेगी। लेकिन स्पर्श, माथे पर चुम्बन, बाल सहलाने और बच्चे को सीने से लगाने जैसे अहसासों के बारे में क्या? मैं दावे से कह सकता हूं कि कम से कम अभी तो एलेक्सा यह सब नहीं कर सकेगी। और अगर आप बचपन में ही उन भावनाओं से वंचित रह गए तो आप और बच्चे के बीच कभी भी वैसा लगाव नहीं बन सकेगा, जो बच्चे-पैरेंट्स के बीच होता है। क्योंकि वो लगाव जलकर राख हो चुका होगा!
मैं ऐसे अनेक पैरेंट्स को जानता हूं जो अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों के कारण देर रात को घर पहुंचते हैं और जब अगली सुबह बच्चे स्कूल चले जाते हैं तब पिता सो रहे होते हैं। लेकिन वे पैरेंट्स वीकेंड्स पर अपने बच्चों के साथ होते हैं और उन्हें एक नहीं बहुत सारी कहानियां सुनाते हैं ताकि उन पांच दिनों के नुकसान की भरपाई कर सकें। मुझे डर है कि एलेक्सा हमारी सहूलियत के नाम पर हमसे वह भी छीन लेगी।
जब मैं ऑफिस पहुंचा, तो लैपटॉप पर एक और खबर दिखी, जिसने मेरे विचारों को पुख्ता ही किया। मुम्बई पुलिस ने 20 पन्नों की बुकलेट जारी की है, जिसमें उन्होंने फर्जी लोन एप्स से संबंधित पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर तय किए हैं। चूंकि ऑनलाइन लोन एप की समस्या बढ़ती जा रही है और कई लोग इनके शिकार हो रहे हैं, इसलिए यह पुलिसवालों के लिए क्विक हैंडबुक मानी गई है, ताकि उन्हें पता हो कि ऐसे अपराध की स्थिति में गोल्डन-आवर माने जाने वाले पहले 12 घंटों में क्या किया जाए। वे इसकी मदद से जरूरी कदम उठाते हुए पैसे को फर्जी एप्प मालिक के खाते में जमा होने से रोक सकते हैं।
फंडा यह है कि अब पैरेंटिंग के लगाव को बचाने के लिए भी हैंडबुक्स जारी करने का समय आ गया है, क्योंकि एआई की मदद से आज अनेक ऐसे प्रोडक्ट मौजूद हैं, जो सहूलियत के नाम पर इस लगाव को जलाकर राख कर देना चाहते हैं। चयन आपको करना है